Simran Ansari

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रूहानी रिश्ता : भाग - 7

    उस दिन काफी देर हो गई थी लेकिन करण अभी तक शॉप पर नहीं आया था समीरा अभी भी उसका इंतजार करते हुए बेमन से अपने काम में लगी हुई थी आज बुक स्टॉल पर बुक खरीदने वाले ग्राहक भी बहुत कम आए थे इसलिए समझ बैठे बैठे बोर हो रही थी तो उसे याद आया कि उस अलमारी की चाबी तो उसी के पास है जिसमें करण अपनी मां के कलेक्शन की बुक्स लॉक करके रखता है,


     मन ही मन यह सोचकर समीरा बहुत ही खुश हो गई और जल्दी से है अपने बैग से चाभी निकाल कर जल्दी से अलमारी के पास जाती है और उसमें से कई सारी बुक देखने के बाद वह एक बुक निकालकर पढ़ने लगती है लेकिन यह सब हुआ सिर्फ खुद को व्यस्त रखने के लिए कर रही थी जिससे कि उसका आज का दिन कट जाए और आज उसका पहली बार किताब पढ़ने में भी मन नहीं लग रहा था।।।

      समीरा किताब पढ़ने बैठी ही थी कि तभी कोई बुक खरीदने के लिए बुक स्टॉल पर आया और समीरा बुक साइड में रख कर उसे बुक्स दिखाने चली गई और फिर ग्राहक के जाने के बाद वापस अपनी चेयर पर बैठकर वही बुक पड़ने लगी लेकिन करन अभी भी नहीं आया था तो पहले समीरा ने सोचा कि वह अजय या पुनीत से पूछ ले की करन अभी तक क्यों नहीं आया फिर उसे सुबह वाली बात याद आ गई जब वह दोनों उसका मजाक उड़ा रहे थे करण को लेकर इसलिए उसने सोचा उसे क्या करना मुझे तो बस अपने काम से मतलब होना चाहिए सोच करवा दोबारा अपने काम में लग गई और आज का दिन समीरा को बहुत लंबा लग रहा था पिछले 3 दिनों में आज उसका समय नहीं कट रहा था जैसे तैसे शाम के 7:00 बजे तो वह अजय और पुनीत को बोल कर अपने घर के लिए निकल गई।।।

   घर पहुंच कर अपनी मां के साथ थोड़ी देर बातें करने के बाद वह अपने रूम में चली गई और बेड पर लेट गई वह समझ नहीं पा रही थी उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था इसलिए वह आंख बंद करके जबरदस्ती सोने की कोशिश करने लगी लेकिन नींद कहां आने वाली थी.... तो वहां एक किताब लेकर पढ़ने के लिए बैठ गई या उसकी अपनी बुक थी पढ़ते-पढ़ते उसे नींद आ गई क्योंकि यह बुक वह कई बार पढ़ चुकी थी।।।

  सुबह 8:00 बजे सी आंख खुली तो वो खुद से ही उठ कर बैठ गई और होली चलो आज तो सही समय पर उठ गए इसके बाद वॉशरूम जाकर फ्रेश हो गई और कपड़े चेंज करके नाश्ता करने के लिए चली गई और समय से अपने काम के लिए भी निकल गई आज फिर वह 10:00 बजे से पहले ही दुकान पहुंच गई।।।

   दुकान पहुंचकर समीरा सीधे अपनी साइड पर चली गई और बुक्स अरेंज करने लगी आज वह बिल्कुल शांत भाव से सिर्फ अपने काम में लगी हुई थी और वह करण के बारे में भी सोचना नहीं चाहती थी कि उसे समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या है जो करन के बिना उसका काम में भी दिल नहीं लग रहा है।।।।

  वह मन ही मन सोचने लगी- आखिर ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ मैंने करण की वजह से तू यहां काम करना शुरू नहीं किया था और सिर्फ उसके 1 दिन शॉप पर ना आने की वजह से मुझे इतनी बेचैनी क्यों महसूस हो रही है जबकि हमें मिले हुए भी अभी ज्यादा दिन नहीं हुए।।।

   सब सवाल वह खुद से ही कर रही थी और खुद ही कोई ना कोई संतोषजनक जवाब भी तलाश रही थी फिर खुद से बोली कोई नहीं लगता है मुझे करण से कुछ ज्यादा ही हमदर्दी हो गई है कोई बात नहीं मैं अब उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचूंगी आए या ना आए मुझे सिर्फ अपने काम से मतलब रखना होगा।।।

   हां यही ठीक होगा वैसे भी मैं सिर्फ उसकी शॉप में काम करती हूं इसके अलावा हमारा कोई रिलेशन नहीं अरे नहीं याद आया करण ने उस दिन कहा था कि हम फ्रेंड्स हैं तो क्या सच में हम फ्रेंड्स हैं???

   वह खुद में ही मन ही मन यह सब सोच रही थी और तभी दुकान के बाहर से किसी ने आवाज लगाई मुझे कोई मासिक मैगजीन दिखाओ मुझे खरीदनी है या सुनकर समीरा जल्दी से उस ग्राहक को अटेंड करने पहुंची और उसे उसकी पसंद की मैगजीन दिखाने लगी कुछ एक मैगजीन देखने के बाद उस तरह अपने दो मैगजीन खरीदी और पैसे देकर अपने रास्ते चला गया।।।

   तभी समीरा ने घड़ी की तरफ देखा 12:00 बजने वाले थे और आज भी करण का कहीं अता पता नहीं था कोई ना चाहते हुए भी बार-बार समीरा की नज़रें गेट की तरफ ही थी कि तभी थोड़ी देर बाद करण दुकान के अंदर आया वह बिल्कुल नॉर्मल लग रहा था समीरा ने सिर्फ एक नजर उसकी तरफ उठा कर देखा और वापिस अपने काम मैं लग गई वाया बिल्कुल जाहिर नहीं होने देना चाहती थी कि उसे करण के आने या ना आने से कोई फर्क पड़ता है क्योंकि उसे नहीं पता था करण उसके बारे में क्या सोचता है।।।

  करण थोड़ी देर तक अजय और पुनीत से बातें करने के बाद वापस दुकान के अंदर की साइड आ गया समीरा के पास ही रखी एक दूसरी चेयर पर बैठ गया और समीरा से बोला हेलो समीरा....

    इस पर समीरा ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और ना ही उसकी बात का कोई जवाब दिया बल्कि उसे नजरअंदाज करते हुए अपने काम में लगी रही इस पर करण उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और उससे बोला हेलो क्या हुआ है तुम्हें मैं दिखाई नहीं दे रहा या सुनाई भी नहीं दे रहा.....

   ओ हाय करण! सॉरी मैं बिजी थी ध्यान नहीं दिया- कहकर समीरा वहां से थोड़ा दूर हटकर दूसरी अलमारी की तरफ चली गई।।।

करण को समीरा की हरकत थोड़ी अजीब लगी तो वह भी समीरा के पीछे गया और उससे पूछने लगा- क्या हुआ है यार ऐसे क्यों बिहेव कर रही हो।।।

  करण के इस सवाल पर समीरा बिल्कुल अनजान बनते हुए बोली क्या मैंने कुछ गलत बिहेव किया क्या?? मैं तो बस अपना काम कर रही हूं।।।

   कहकर वह बिखरी हुईं किताबे वापस बुक्शेल्फ में रखने लगी तभी करण ने अचानक से उसका हाथ पकड़ लिया और बोला पहले मेरी बात का जवाब दो क्या हुआ है तुम्हें???

   मुझे कुछ नहीं हुआ करण मेरा हाथ छोड़ो समीरा अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली और वैसे भी कुछ हुआ भी होगा तो तुम क्या करोगे जान के???

  मैं मैं....वह मैंने कहा था हम दोनों फ्रेंड्स है ना तो तुम मुझे बता सकती हो मैं तुम्हारी हेल्प करूंगा- करण थोड़ा हक लाते हुए बोला

    उसकी इस बात पर समीरा उसके चेहरे की तरफ देख कर बोली अच्छा हम दोनों फ्रेंड हैं कब बने फ्रेंड्स मुझे तो पता ही नहीं चला.....

    कम आॅन समीरा यू नो मी आई नो यू तो हम दोनों फ्रेंड्स क्यों नहीं हो सकते- इस बार करण ने भी समीरा की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा तो समीरा ने अपनी नजरें नीचे कर ली

   अच्छा हम दोनों फ्रेंड से हैं तो तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि कल तुम शाॅप पर क्यों नहीं आए थे??? समीरा ने दोबारा करण की तरफ देखते हुए कहा

  अब करण पूरी बात समझ गया और समीरा का हाथ छोड़ते हुए बोला- ओह! अच्छा तो तुम इस बात से नाराज हो कि कल मैं शॉप पर नहीं आया था.....

  अरे नहीं मैं नाराज नहीं हूं मैं तो बस पूछ रही थी कि अगर हम दोनों फ्रेंड्स हैं तो इतना तो पता ही होना चाहिए- समीरा ने झेंपते हुए कहा

  अरे हां वह कल मुझे कुछ जरूरी काम था तो मैं नहीं आ पाया था और हां मैंने किसी को नहीं बताया था अजय और पुनीत को भी नहीं पता था वैसे तुम्हें इतनी फिक्र हो रही थी तो तुम मुझे कॉल कर लेती- करण ने कहा

    तो उसकी इस बात पर समीरा उसे घूर कर देखने लगी उसकी नजरों से करन तुरंत ही समझ गया वह क्या कहना चाह रही है और तुरंत ही बात संभालते हुए बोला- अरे हां तुम कॉल कैसे करती मैं तो भूल ही गया था तुम्हारे पास तो मेरा नंबर होगा ही नहीं.....

   हां और तुम बोल रहे हो कि हम फ्रेंड्स हैं ऐसे होते हैं क्या फ्रेंड्स ?? समीरा हल्के गुस्से में बोली

  "अच्छा तो फिर अपना मोबाइल नंबर बताओ" कहकर करण समीरा की तरफ देखने लगा

   क्यों बताऊं समीरा इधर उधर देखते हुए बोली ऐसा कोई जरूरी भी नहीं है.....

  अच्छा सच में जरूरी नहीं है?? ठीक है तुम मत दो मेरा नंबर तो सेव कर लो अपने मोबाइल में- करण ने कहा

   अरे नहीं मैं मजाक कर रही थी तुम नोट करो मेरा नंबर अपने मोबाइल में और मिस कॉल कर देना मैं तुम्हारा नंबर सेव कर लूंगी-समीरा ने कहा

   ओके अब नंबर तो दे दो अपना-करण ने कहा

हां नोट करो 9865****** हो गया-कहकर समीरा ने अपना मोबाइल उठाया तो देखा उस पर करण का नंबर फ्लैश हो रहा था समीरा ने करण का नंबर सेव कर लिया और करन ने समीरा का.....

    अच्छा तो कल जो बुक तुम लाना भूल गई थी वह आज ले आई? करण ने पूछा

  कल नहीं परसों लाना भूल गई थी और वह बुक तो मैंने कल ही लाकर अलमारी में रख दी तुम्हें चेक करना हो तो कर लो- समीरा ने कहा

   नहीं मैं तो बस पूछ रहा था अगर तुमने रख दी हैं तो ठीक है-समीर ने कहा

    फिर थोड़ी देर तक इधर उधर की बातें करने के बाद समीरा वापस अपने काम में लग गई और करण भी बाहर की तरफ और कर अपने दोस्तों के काम में मदद करने लगा थोड़ी देर बाद जब समीरा अपने काम से फ्री होकर बैठी तो करण फिर से उसके पास आकर बैठ गया और कुछ बोलने ही वाला था कि उससे पहले समीरा बोल पड़ी- अच्छा चलो अब बताओ.....

   करण ने हैरानी से समीरा की तरफ देखते हुए पूछा- " क्या बताऊं" 

   समीरा ने गुस्से से करण की तरफ देखते हुए कहा- यही कि कल तुम शॉप पर क्यों नहीं आए थे आखिर ऐसा क्या काम था जो तुमने किसी को भी नहीं बताया.....

    अरे वह कुछ नहीं यार, कहकर करन बात टालने की कोशिश करने लगा और समीरा उसकी यह हरकत देखकर समझ गई कि वह उसे नहीं बताना चाहता है तो वह बीच में ही उसे रोते हुए बोली ठीक है कोई बात नहीं नहीं बताना तो ना बताओ मैं भी जबरदस्ती किसी से नहीं पूछती जब सच में दोस्त मान लेना तो बता देना।।।

    समीरा की बातें सुनकर करण कुछ नहीं बोला और चुपचाप वहां से उठ कर वापस पुनीत के पास आकर बैठ गया।।।

करण को ऐसे उदास देखकर पुनीत ने उससे पूछा- क्या हुआ यार बहुत उदास लग रहा है और तू कल आया भी नहीं था....

   कुछ नहीं बस ऐसे ही मैं ठीक हूं- करन ने बात संभालते हुए कहा......


जारी.......


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